सबकी फेवरट रसमलाई की कहानी जानते हो क्या आप ?
- By Sheena --
- Friday, 23 Jun, 2023
How To Produce Rasmalai
How To Produce Rasmalai : वैसे तो मीठे के सभी शौकीन होते है और मीठे में बहुत से मिठाइयां होती है जो सबक मन मोह लेती है। ऐसे में भारत का नाम सबसे पहले आता है जहां पर तरह-तरह के पकवान बनते रहते है और मिठाइयों का संसार मिलता है। हर एक खाने या स्वादिष्ट डिश के पीछे भी कोई इतिहास या कहानी छिपी होती है। और ऐसे ही कई पुराने से पुराने रेसिपीज के ख़ज़ाने और कई रसोइयों के पास सुनने को मिलते है। वो रसगुल्ले से लेकर खाजा तक, यहां तक की विदेशी हमारे देश के कोने-कोने से स्वादिष्ट मिठाइयों का आनंद लेने आते है। अकेले कोलकाता में ही इतनी मिठाइयां लोकप्रिय हैं, जिनकी लिस्ट काफी लंबी होगी। हम कोलकाता के रसगुल्ले, संदेश, मिष्टी दोई और अन्य मिठाइयों के बारे में तो बात करते ही हैं, लेकिन रसमलाई के बारे में आप कितना जानते हैं? यह मिठाई कैसे बनाई गई और इस मिठाई को रसमलाई ही नाम क्यों दिया गया, क्या आपको पता है? तो चलिए आज जानते है की रसमलाई कैसे बनाई गई थी ?
कैसे बनाई गई थी रसमलाई?
एक साइंटिफिक एक्सपेरिमेंट के चलते कोई मिठाई तैयार हो सकती है, क्या आप सोच सकते हैं? अगर नहीं, तो आपको बताएं कि रसमलाई ऐसे ही बनाई गई थी। यह बात हम नहीं, बल्कि रसमलाई का आविष्कार करने वाले कोलकाता का दास परिवार कहते है। एक लीडिंग वेबसाइट को दिए गए इंटरव्यू में कोलकाता की सबसे चर्चित मिठाई की दुकान केसी दास के ग्रेट ग्रैंडसन ने ऐसा ही बताया था। उन्होंने दिए गए इंटरव्यू में बताया था कि उनके ग्रेट ग्रैंडफादर के सबसे छोटे बेटे सरादा चरण ने पहली बार रसमलाई एक एक्सपेरिमेंट के तौर पर ही बनाई थी। वह रिसर्च असिस्टेंट थे और इस दौरान उन्होंने रिवर्स ऑस्मोसिस के बारे में पढ़ा था। उन्होंने सबसे पहले यहां बनाई गई मिठाई रसगुल्ले को इस प्रोसेस से प्रिजर्व करना सीखा। इस तरह उन्होंने कैन्ड रसगुल्ले का आविष्कार किया। इसके बाद उनके पिता ने इस एक्सपेरिमेंट को आगे ले जाने के बारे में सोचा और इस तरह रसमलाई का आविष्कार हुआ। मीठे दूध को गर्म करके रसगुल्ले को भिगोया गया और इस सफल एक्सपेरिमेंट ने हमें रसमलाई दी।
कैसे लोकप्रिय हुई रसमलाई?
ऐसा माना जाता है कि दास परिवार की दुकान जिस जगह पर थी, वो मारवाड़ी समुदाय से घिरी हुई थी। इस स्वीट डिश को लोगों तक पहुंचाने का श्रेय मारवाड़ियों को जाता है। उन्होंने इस स्वीट डिश को देश भर में पहुंचाने का काम किया। जैसे-जैसे इसकी पॉपुलैरिटी में इजाफा हुआ, वैसे ही लोगों ने इसके फ्लेवर्स के साथ प्रयोग करना शुरू किया। प्लेन रसमलाई से लेकर केसर और इलायची वाली रसमलाई तक लोगों को पसंद आने लगी।
बांग्लादेश में भी बनाई गई थी रसमलाई
रसमलाई बनाने के पीछे एक दूसरी कहानी भी है। माना जाता है कि रसमलाई बांग्लादेश के कोमिला में बनाई गई थी। लोगों ने रसगुल्ले को गाढ़े मलाईदार दूध में भिगोकर खाना शुरू किया। इसे शुरुआत में खीर भोग कहा जाता था। समय के साथ इसे छोटा बनाया जाने लगा, ताकि इसे भिगोना आसान हो। वहीं जब वेस्ट बंगाल का विभाजन हुआ, तो इसका नाम भी बदल दिया गया। कोमिला के सेन भाइयों ने ये दावा भी किया है कि रसमलाई उनके परिवार ने बनाई है और वे इस मिठाई के लिए जीआई टैग भी अप्लाई कर चुके हैं।
रसमलाई की तरह बनी रसमंजरी
आपको शायद न पता हो, लेकिन नॉर्थ बंगाल के रंगपुर जिले में रसमलाई की बहन रसमंजरी बहुत ज्यादा लोकप्रिय है। यह रसमलाई की तरह लोकप्रिय नहीं हुई और आज रंगपुर जिले में कुछ ही जगहों में मिलती है। रसमलाई (स्पंजी रबड़ी रसमलाई रेसिपी) और रसमंजरी में शेप और इंग्रीडिएंट का बड़ा अंतर होता है। रसमलाई फ्लैट होती है, लेकिन इसका छोटा और ओवल शेप होता है। रसमंजरी को फुल फैट दूध, चीनी और बहुत थोड़े से आटे से मिलाकर बनाते हैं। वहीं, रसमलाई में कई तरह के इंग्रीडिएंट्स इस्तेमाल किए जाते हैं।